Srimad Bhagavad Gita Chapter 5 Verse 19

इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः । 
निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद् ब्रह्मणि ते स्थिताः ।।  19 ।। 

जिनका मन समभाव में स्थित है, उनके द्वारा इस जीवित अवस्था में ही सम्पूर्ण संसार जीत लिया गया है, क्योंकि सच्चिदानन्दघन परमात्मा निर्दोष और सम है, इससे वे सच्चिदानन्दघन परमात्मा में ही स्थित है ।  (19)

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