Srimad Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 6
द्वौ भूतसर्गो लोकेऽस्मिन्दैव आसुर एव च ।
दैवो विस्तरशः प्रोक्त आसुरं पार्थ मे श्रृणु ।। 6 ।।
हे अर्जुन ! इस लोक में भूतों की सृष्टि यानी मनुष्यसमुदाय दो ही प्रकार का हैः एक तो दैवी प्रकृति वाला और दूसरा आसुरी प्रकृति वाला । उनमें से दैवी प्रकृतिवाला तो विस्तारपूर्वक कहा गया, अब तू आसुरी प्रकृतिवाले मनुष्य-समुदाय को भी विस्तारपूर्वक मुझसे सुन । (6)