Srimad Bhagavad Gita Chapter 12 Verse 16

अनपेक्षः शुचिर्दक्ष उदासीनो गतव्यथः । 
सर्वारम्भपरित्यागी यो मदभक्तः मे प्रियः ।। 16 ।। 

जो पुरुष आकांक्षा से रहित, बाहर-भीतर से शुद्ध, चतुर, पक्षपात से रहित और दुःखों से छूटा हुआ है – वह सब आरम्भों का त्यागी मेरा भक्त मुझको प्रिय है । (16)

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