Srimad Bhagavad Gita Chapter 12 Verse 12

श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाद्ध्यानं विशिष्यते । 
ध्यानात्कर्मफलत्यागस्त्यागाच्छान्तिरनन्तरम् ।। 12 ।। 

मर्म को न जानकर किये हुए अभ्यास से ज्ञान श्रेष्ठ है । ज्ञान से मुझ परमेश्वर के स्वरूप का ध्यान श्रेष्ठ है और ध्यान से भी सब कर्मों के फल का त्याग श्रेष्ठ है क्योंकि त्याग से तत्काल ही परम शान्ति होती है । (12)

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