Srimad Bhagavad Gita Chapter 10 Verse 9

मच्चित्ता मद् गतप्राणा बोधयन्तः परस्परम् । 
कथयन्तश्च मां नित्यं तुष्यन्ति रमन्ति  ।। 9 ।।

निरन्तर मुझ में मन लगाने वाले और मुझमे ही प्राणों को अर्पण करने वाले भक्तजन मेरी भक्ति की चर्चा के द्वारा आपस में मेरे प्रभाव को जानते हुए तथा गुण और प्रभावसहित मेरा कथन करते हुए ही निरन्तर सन्तुष्ट होते हैं, और मुझ वासुदेव मे ही निरन्तर रमण करते हैं । (9)

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