Srimad Bhagavad Gita Chapter 10 Verse 10

तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतीपूर्वकम् । 
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते ।। 10 ।।

उन निरन्तर मेरे ध्यान आदि में लगे हुए और प्रेमपूर्वक भजने वाले भक्तों को मैं वह तत्त्वज्ञानरूप योग देता हूँ, जिससे वे मुझको ही प्राप्त होते हैं । (10)

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