Srimad Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 9

मां तानि कर्माणि निबध्नन्ति धनंजय । 
उदासीनवदासीनमसक्तं तेषु कर्मसु ।। 9 ।।

हे अर्जुन ! उन कर्मों में आसक्ति रहित और उदासीन के सदृश स्थित मुझ परमात्मा को वे कर्म नहीं बाँधते । (9)

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