Srimad Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 31

क्षिप्रं भवति धर्मात्मा शश्वच्छान्तिं निगच्छति । 
कौन्तेय प्रति जानीहि मे भक्तः प्रणश्यति ।। 31 ।।

वह शीघ्र ही धर्मात्मा हो जाता है और सदा रहने वाली परम शान्ति को प्राप्त होता है । हे अर्जुन ! तू निश्चयपूर्वक सत्य जान कि मेरा भक्त नष्ट नहीं होता । (31)

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