Srimad Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 29
समोऽहं सर्वभूतेष न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रियः ।
ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम् ।। 29 ।।
मैं सब भूतों में समभाव से व्यापक हूँ । न कोई मेरा अप्रिय है ओर न प्रिय है परन्तु जो भक्त मुझको प्रेम से भजते हैं, वे मुझमें हैं और मैं भी उनमें प्रत्यक्ष प्रकट हूँ । (29)