Srimad Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 2

राजविद्या राजगुह्यं पवित्रमिदमुत्तमम् । 
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् ।। 2 ।। 

यह विज्ञानसहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा, सब रहस्यों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फलवाला, धर्मयुक्त साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है । (2)

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