Srimad Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 46

तपस्विभ्योऽधिको योगी ज्ञानिभ्योऽपि मतोऽधिकः । 
कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवार्जुन ।।  46 ।।

योगी तपस्वियों से श्रेष्ठ है, शास्त्रज्ञानियों से भी श्रेष्ठ माना गया है और सकाम कर्म करने वालों से भी योगी श्रेष्ठ है इससे हे अर्जुन तू योगी हो ।  (46)

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