Srimad Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 45

प्रयत्नाद्यातमानस्तु योगी संशुद्धकिल्बिषः । 
अनेकजन्मसंसिद्धस्ततो याति परां गतिम् ।।  45 ।। 

परन्तु प्रयत्नपूर्वक अभ्यास करने वाला योगी तो पिछले अनेक जन्मों के संस्कारबल से इसी जन्म में संसिद्ध होकर सम्पूर्ण पापों से रहित हो फिर तत्काल ही परम गति को प्राप्त हो जाता है ।  (45)

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