Srimad Bhagavad Gita Chapter 6 Verse 34

चंचलं हि मनः कृष्ण प्रमाथि बलवद् दृढम् । 
तस्याहं निग्रहं मन्ये वायोरिव सुदुष्करम् ।।  34 ।। 

क्योंकि हे श्री कृष्ण ! यह मन बड़ा चंचल, प्रमथन स्वभाव वाला, बड़ा दृढ़ और बलवान है ।   इसलिए उसका वश में करना मैं वायु को रोकने की भाँति अत्यन्त दुष्कर मानता हूँ । (34)

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