Srimad Bhagavad Gita Chapter 5 Verse 25

लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणमृषयः क्षीणकल्मषाः । 
छिन्नद्वैधा यतात्मानः सर्वभूतहिते रताः ।।  25 ।। 

जिनके सब पाप नष्ट हो गये हैं, जिनके सब संशय ज्ञान के द्वारा निवृत्त हो गये हैं, जो सम्पूर्ण प्राणियों के हित में रत हैं और जिनका जीता हुआ मन निश्चलभाव से परमात्मा में स्थित हैं, वे ब्रह्मवेत्ता पुरुष शान्त ब्रह्म को प्राप्त होते हैं ।  (25)

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