विद्याविनयसंपन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनी । शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः ।। 18 ।।
वे ज्ञानीजन विद्या और विनययुक्त ब्राह्मण में तथा गौ, हाथी, कुत्ते और चाण्डाल में भी समदर्शी होते हैं । (18)