Srimad Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 5
श्री भगवानुवाच
बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन ।
तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परंतप ।। 5 ।।
श्री भगवान बोलेः हे परंतप अर्जुन ! मेरे और तेरे बहुत से जन्म हो चुके हैं । उन सबको तू नहीं जानता, किन्तु मैं जानता हूँ । (5)