Srimad Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 33

सदृशं चेष्टते स्वस्याः प्रकृतेर्ज्ञानवानपि ।
प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रहः किं करिष्यति ।।  33 ।। 

सभी प्राणी प्रकृति को प्राप्त होते हैं अर्थात् अपने स्वभाव के परवश हुए कर्म करते हैं ।   ज्ञानवान भी अपनी प्रकृति के अनुसार चेष्टा करते है ।   फिर इसमें किसी का हठ क्या करेगा ।  (33)

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