Srimad Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 72

एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति ।   
स्थित्वास्यामन्तकालेऽपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति ।।  72 ।।

तत्सदिति श्रीमदभगवदगीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे
श्रीकृष्णार्जुनसंवादे सांख्ययोगो नाम द्वितीयोऽध्यायः ।।  2 ।। 

हे अर्जुन ! यह ब्रह्म को प्राप्त हुए पुरुष की स्थिति है ।  इसको प्राप्त होकर योगी कभी मोहित नहीं होता और अन्तकाल में भी इस ब्राह्मी स्थिति में स्थित होकर ब्रह्मानन्द को प्राप्त हो जाता है । (72)

इस प्रकार उपनिषद, ब्रह्मविद्या तथा योगशास्त्र रूप श्रीमद् भगवदगीता के श्रीकृष्णअर्जुन संवाद में सांख्ययोगनामक द्वितीय अध्याय सम्पूर्ण हुआ । 

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