Srimad Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 60

यततो ह्यपि कौन्तेय पुरुषस्य विपश्चितः । 
इन्द्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मनः ।।  60 ।। 

हे अर्जुन ! आसक्ति का नाश न होने के कारण ये प्रमथन स्वभाव वाली इन्द्रियाँ यत्न करते हुए बुद्धिमान पुरुष के मन को भी बलात् हर लेती हैं ।  (60)

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