अविनाश तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम् । विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित्कर्तुमर्हति ।। 17 ।।
नाशरहित तो तू उसको जान, जिससे यह सम्पूर्ण जगत दृश्यवर्ग व्याप्त है । इस अविनाशी का विनाश करने में भी कोई समर्थ नहीं है । (17)