Srimad Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 76

राजन्संस्मृत्य संस्मृत्य संवादमिममद् भुतम् । 
केशवार्जुनयोः पुण्यं हृष्यामि मुहुर्मुहुः ।। 76 ।। 

हे राजन ! भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के इस रहस्ययुक्त कल्याणकारक और अदभुत संवाद को पुनः-पुनः स्मरण करके मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ । (76)

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