Srimad Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 64

सर्वगुह्यतमं भूयः श्रृणु मे परमं वचः । 
इष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम् ।। 64 ।। 

सम्पूर्ण गोपनियों से अति गोपनीय मेरे परम रहस्ययुक्त वचन को तू फिर भी सुन ।   तू मेरा अतिशय प्रिय है, इससे यह परम हितकारक वचन मैं तुझसे कहूँगा । (64)

Share Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 64