Srimad Bhagavad Gita Chapter 16 Verse 24
तस्माचछास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि ।। 24 ।।
ॐ तत्सदिति श्रीमद् भगवद् गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे
श्रीकृष्णार्जुनसंवादे दैवासुरसंपद्विभागयोगो नाम षोडषोऽध्यायः ।। 16 ।।
इससे तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है । ऐसा जानकर तू शास्त्रविधि से नियत कर्म ही करने योग्य है । (24)
इस प्रकार उपनिषद, ब्रह्मविद्या तथा योगशास्त्र रूप श्रीमद् भगवद् गीता के श्रीकृष्ण–अर्जुन संवाद में दैवासुरसंपद्विभागयोग नामक सोलहवाँ अध्याय संपूर्ण हुआ ।