Srimad Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 33

यथा प्रकाशयत्येकः कृत्स्नं लोकमिमं रविः । 
क्षेत्रं क्षेत्री तथा कृत्स्नं प्रकाशयति भारत ।। 33 ।। 

हे अर्जुन ! जिस प्रकार एक ही सूर्य इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार एक ही आत्मा सम्पूर्ण क्षेत्र को प्रकाशित करता है । (33)

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