Srimad Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 26

यावत्संजायते किंचित्सत्त्वं स्थावरजंगमम् । 
क्षेत्रक्षेत्रज्ञसंयोगात्तद्विद्धि भरतर्षभ ।। 26 ।। 

हे अर्जुन ! यावन्मात्र जितने भी स्थावर-जंगम प्राणी उत्पन्न होते हैं, उन सबको तू क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के संयोग से ही उत्पन्न जान । (26)

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