Srimad Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 17

ज्योतिषामपि तज्ज्योतिस्तमसः परमुच्यते । 
ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यं हृदि सर्वस्य विष्ठितम् ।। 17 ।। 

वह परब्रह्म ज्योतियों का भी ज्योति और माया से अत्यन्त परे कहा जाता है । वह परमात्मा बोधस्वरूप, जानने के योग्य तथा तत्त्वज्ञान से प्राप्त करने योग्य है और सबके हृदय मे विशेषरूप से स्थित है । (17)

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