Srimad Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 15

बहिरन्तश्च भूतानामचरं चरमेव च । 
सूक्ष्मत्वात्तदविज्ञेयं दूरस्थं चान्तिके तत् ।। 15 ।।

वह चराचर सब भूतों के बाहर भीतर परिपूर्ण है और चर-अचर भी वही है और वह सूक्ष्म होने से अविज्ञेय है तथा अति समीप में और दूर में भी वही स्थित है । (15)

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