Srimad Bhagavad Gita Chapter 12 Verse 20

ये तु धर्म्यामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते । 
श्रद्दधाना मत्परमा भक्तास्तेऽतीव मे प्रियाः ।। 20 ।।

तत्सदिति श्रीमद् भगवद् गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे
श्रीकृष्णार्जुनसंवादे भक्तियोगो नाम द्वादशोऽध्यायः  ।। 12 ।। 

परन्तु जो श्रद्धायुक्त पुरुष मेरे परायण होकर इस ऊपर कहे हुए धर्ममय अमृत को निष्काम प्रेमभाव से सेवन करते हैं, वे भक्त मुझको अतिशय प्रिय हैं ।  (20)

इस प्रकार उपनिषद, ब्रह्मविद्या तथा योगशास्त्र रूप श्रीमद् भगवद् गीता के श्रीकृष्णअर्जुन संवाद में भक्तियोग नामक बारहवाँ अध्याय संपूर्ण हुआ । 

Share Bhagavad Gita Chapter 12 Verse 20