Srimad Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 38

त्वमादिदेवः पुरुषः पुराण
स्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् । 
वेत्तासि वेद्यं परं धाम
त्वया ततं विश्वमनन्तरुप ।। 38 ।। 

आप आदिदेव और सनातन पुरुष हैं । आप इस जगत के परम आश्रय और जानने वाले तथा जानने योग्य और परम धाम हैं । हे अनन्तरूप ! आपसे यह सब जगत व्याप्त अर्थात् परिपूर्ण है । (38)

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