Srimad Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 2

भवाप्ययौ हि भूतानां श्रुतौ विस्तरशो मया । 
त्वत्तः कमलपत्राक्ष माहात्म्यमपि चाव्ययम् ।। 2 ।। 

क्योंकि हे कमलनेत्र ! मैंने आपसे भूतों की उत्पत्ति और प्रलय विस्तारपूर्वक सुने हैं तथा आपकी अविनाशी महिमा भी सुनी है । (2)

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