Srimad Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 14

ततः विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनंजयः । 
प्रणम्य शिरसा देवं कृतांजलिरभाषत ।। 14 ।। 

उसके अनन्तर वे आश्चर्य से चकित और पुलकित शरीर अर्जुन प्रकाशमय विश्वरूप परमात्मा को श्रद्धा-भक्तिसहित सिर से प्रणाम करके हाथ जोड़कर बोलेः । (14)

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