Srimad Bhagavad Gita Chapter 10 Verse 38

दण्डो दमयतामस्मि नीतिरस्मि जिगीषताम् । 
मौनं चैवास्मि गुह्यानां ज्ञानं ज्ञानवतामहम् ।। 38 ।।

मैं दमन करने वालों का दण्ड अर्थात् दमन करने की शक्ति हूँ, जीतने की इच्छावालों की नीति हूँ, गुप्त रखने योग्य भावों का रक्षक मौन हूँ और ज्ञानवानों का तत्त्वज्ञान मैं ही हूँ । (38)

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