Srimad Bhagavad Gita Chapter 10 Verse 35

बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् । 
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः ।। 35 ।।

तथा गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम और छन्दों में गायत्री छन्द हूँ तथा महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में वसन्त मैं हूँ । (35)

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