Srimad Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 17, 18
काश्यश्च परमेष्वासः शिखण्डी च महारथः ।
धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यिकश्चापराजितः ।। 17 ।।
द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वशः पृथिवीपते ।
सौभद्रश्च महाबाहुः शंखान्दध्मुः पृथक्पृथक् ।। 18 ।।
श्रेष्ठ धनुष वाले काशिराज और महारथी शिखण्डी और धृष्टद्युम्न तथा राजा विराट और अजेय सात्यकि, राजा द्रुपद एवं द्रौपदी के पाँचों पुत्र और बड़ी भुजावाले सुभद्रापुत्र अभिमन्यु – इन सभी ने, हे राजन ! सब ओर से अलग-अलग शंख बजाये । (17, 18)