Srimad Bhagavad Gita Chapter 17 Verse 14

देवद्विजगुरुप्राज्ञपूजनं शौचमार्जवम् । 
ब्रह्मचर्यमहिंसा शरीरं तप उच्यते ।। 14 ।। 

देवता, ब्राह्मण, गुरु और ज्ञानीजनों का पूजन, पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा – शरीर सम्बन्धी तप कहा जाता है । (14)

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