Srimad Bhagavad Gita Chapter 15 Verse 17

उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदाहृतः । 
यो लोकत्रयमाविश्य बिभर्त्यव्यय ईश्वरः ।। 17 ।। 

इन दोनों से उत्तम पुरुष तो अन्य ही है, जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है तथा अविनाशी परमेश्वर और परमात्मा- इस प्रकार कहा गया है । (17)

Share Bhagavad Gita Chapter 15 Verse 17