Srimad Bhagavad Gita Chapter 13 Verse 20
कार्यकरणकर्तृत्वे हेतुः प्रकृतिरूच्यते ।
पुरुषः सुखदुःखानां भोक्तृत्वे हेतुरुच्यते ।। 20 ।।
कार्य और करण को उत्पन्न करने में हेतु प्रकृति कही जाती है और जीवात्मा सुख-दुःखों के भोक्तापन में अर्थात् भोगने में हेतु कहा जाता है । (20)