मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय । निवसिष्यसि मय्येव अत ऊर्ध्वं न संशयः ।। 8 ।।
मुझमें मन को लगा और मुझमें ही बुद्धि को लगा । इसके उपरान्त तू मुझमें निवास करेगा, इसमें कुछ भी संशय नहीं है । (8)