Srimad Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 53

नाहं वेदैर्न तपसा दानेन चेज्यया । 
शक्य एवंविधो द्रष्टुं दृष्टवानसि मां यथा ।। 53 ।।

जिस प्रकार तुमने मुझे देखा है – इस प्रकार चतुर्भुजरूपवाला मैं न तो वेदों से, न तप से, न दान से, और न यज्ञ से ही देखा जा सकता हूँ । (53)

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