Srimad Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 34

द्रोणं भीष्मं जयद्रथं
कर्णं तथान्यानपि योधवीरान् । 
मया हतांस्त्वं जहि मा व्यथिष्ठा
युध्यस्व जेतासि रणे सपत् नान् ।। 34 ।।

द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह तथा जयद्रथ और कर्ण तथा और भी बहुत-से मेरे द्वारा मारे हुए शूरवीर योद्धाओं को तू मार । भय मत कर । निःसन्देह तू युद्ध में वैरियों को जीतेगा । इसलिए युद्ध कर । (34)

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