Srimad Bhagavad Gita Chapter 10 Verse 6
महर्षयः सप्त पूर्वे चत्वारो मनवस्तथा ।
मद् भावा मानसा जाता येषां लोक इमाः प्रजाः ।। 6 ।।
सात महर्षिजन, चार उनसे भी पूर्व में होने वाले सनकादि तथा स्वायम्भुव आदि चौदह मनु – ये मुझमें भाव वाले सब के सब मेरे संकल्प से उत्पन्न हुए हैं, जिनकी संसार में यह सम्पूर्ण प्रजा है । (6)