Srimad Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 34

मन्मना भव मद् भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु । 
मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायणः ।। 34 ।।

तत्सदिति श्रीमद् भगवद् गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे
श्रीकृष्णार्जुनसंवादे राजविद्याराजगुह्य योगो नाम नवमोऽध्यायः ।।  9 ।।

मुझमें मनवाला हो, मेरा भक्त बन, मेरा पूजनकरने वाला हो, मुझको प्रणाम कर । इस प्रकार आत्मा को मुझमें नियुक्त करके मेरे परायण होकर तू मुझको ही प्राप्त होगा ।  (34)

इस प्रकार उपनिषद, ब्रह्मविद्या तथा योगशास्त्र रूप श्रीमद् भगवद् गीता के श्रीकृष्णअर्जुन संवाद में राजविद्याराजगुह्ययोगनामक नौवाँ अध्याय संपूर्ण हुआ ।

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