Srimad Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 10

मयाध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम् । 
हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते ।। 10 ।। 

हे अर्जुन ! मुझ अधिष्ठाता के सकाश से प्रकृति चराचर सहित सर्व जगत को रचती है और इस हेतु से ही यह संसारचक्र घूम रहा है । (10)

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