Srimad Bhagavad Gita Chapter 9 Verse 8

प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुनः पुनः । 
भूतग्राममिमं कृत्स्नमवशं प्रकृतेर्वशात् ।। 8 ।। 

अपनी प्रकृति को अंगीकार करके स्वभाव के बल से परतन्त्र हुए इस सम्पूर्ण भूतसमुदाय को बार-बार उनके कर्मों के अनुसार रचता हूँ । (8)

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