Srimad Bhagavad Gita Chapter 7 Verse 11

बलं बलवतां चाहं कामरागविवर्जितम् । 
धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्भ ।।  11 ।। 

हे भरत श्रेष्ठ ! आसक्ति और कामनाओँ से रहित बलवानों का बल अर्थात् सामर्थ्य मैं हूँ और सब भूतों में धर्म के अनुकूल अर्थात् शास्त्र के अनुकूल काम मैं हूँ ।  (11)

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