Srimad Bhagavad Gita Chapter 7 Verse 3

मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये । 
यततामपि सिद्धानां कश्चिमन्मां वेत्ति तत्त्वतः ।। 3 ।।

हजारों मनुष्यों में कोई ही मनुष्य मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करता है और उन यत्न करने वाले योगियों में भी कोई ही पुरुष मेरे परायण हुआ मुझको तत्त्व से जानता है ।  (3)

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