Srimad Bhagavad Gita Chapter 5 Verse 14

कर्तृत्वं कर्माणि लोकस्य सृजति प्रभुः । 
कर्मफलसंयोगं स्वभावस्तु प्रवर्तते ।।  14 ।। 

परमेश्वर मनुष्यों के न तो कर्तापन की, न कर्मों की और न कर्मफल के संयोग की रचना करते हैं, किन्तु स्वभाव ही बरत रहा है ।  (14)

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