Srimad Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 36

अवाच्यवादांश्च बहून् वदिष्यन्ति तवाहिताः । 
निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं ततो दुःखतरं नु किम् ।।  36 ।। 

तेरे वैरी लोग तेरे सामर्थ्य की निन्दा करते हुए तुझे बहुत से न कहने योग्य वचन भी कहेंगे ।   उससे अधिक दुःख और क्या होगा? (36)

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