Srimad Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 20, 21
अथ व्यवस्थितान्दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान् कपिध्वजः ।
प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः ।। 20 ।।
हृषिकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते ।
अर्जुन उवाच
सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत ।। 21 ।।
हे राजन ! इसके बाद कपिध्वज अर्जुन ने मोर्चा बाँधकर डटे हए धृतराष्ट्र सम्बन्धियों को देखकर, उस शस्त्र चलने की तैयारी के समय धनुष उठाकर हृषिकेश श्रीकृष्ण महाराज से यह वचन कहा – हे अच्युत ! मेरे रथ को दोनों सेनाओं के बीच में खड़ा कीजिए । (20, 21)