Srimad Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 34

यया तु धर्मकामार्थान्धृत्या धारयतेऽर्जुन । 
प्रसंगेन फलाकांक्षी धृतिः सा पार्थ राजसी ।। 34 ।। 

परंतु हे पृथापुत्र अर्जुन ! फल की इच्छावाला मनुष्य जिस धारणशक्ति के द्वारा अत्यन्त आसक्ति से धर्म, अर्थ और कामों को धारण करता है, वह धारणशक्ति राजसी है ।  (34)

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